BA Semester-5 Paper-2B History - Socio and Economic History of Medieval India (1200 A.D-1700 A.D) - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2788
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
किन कारणों से मुस्लिम राजवंश अत्यन्त तीव्र गति से परिवर्तित हुआ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

दिल्ली सल्तनत पर सन् 1206 ई. से सन् 1526 ई0 तक 320 वर्ष की लम्बी अवधि में निम्नलिखित मुस्लिम राजवंशों ने प्रशासनिक कार्यों का संचालन किया था-

1. दास वंश (सन् 1206 ई. से सन् 1290 ई०),
2. खिलजी वंश (सन् 1290 ई. से सन् 1320 ई०),
3. तुगलक वंश (सन् 1320 ई. से सन् 1412 ई0)
4. सैय्यद वंश (सन् 1412 ई. से सन् 1451 ई0).
5. लोदी वंश (सन् 1451 ई. से सन् 1526 ई0)।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि दिल्ली सल्तनत की 320 वर्ष की अवधि में क्रमशः दास वंश ने 84 वर्ष, खिलजी वंश ने 30 वर्ष, तुगलक वंश ने 92 वर्ष, सैय्यद वंश ने 39 वर्ष और लोदी वंश ने 75 वर्ष तक राज्य किया। अतः किसी भी वंश को 92 वर्ष से अधिक समय तक शासन करने का सौभाग्य नहीं प्राप्त हो सका। मुस्लिम राजवंशों के इस द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या अग्र प्रकार से की जा सकती है..

1. निर्बल उत्तराधिकारी - दिल्ली सल्तनत पर पाँच राजवंशों ने शासन किया। इन वंशों के संस्थापक शक्तिशाली शासक थे तथा उन्होंने दिल्ली सल्तनत को विस्तार देकर लगभग सम्पूर्ण भारत में फैला दिया था। परन्तु उनके उत्तराधिकारी दुर्बल थे। विशेष रूप से पाँचों वंशों का अन्तिम सुल्तान तो अत्यन्त ही दुर्बल, भोग-विलास में लित और दुराचारी था। उदाहरण के लिये, दास वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक अपनी वीरता, साहस और शक्ति के लिये प्रसिद्ध था, परन्तु इसी दास वंश का अन्तिम शासक कैकुबाद अत्यधिक डरपोक, कामुक और शासक पद के लिये सर्वथा अयोग्य था। इसी प्रकार खिलजी वंश के चाचा-भतीजे जलालुद्दीन अत्यधिक शक्तिशाली और सल्तनत के शासन के सुयोग्य संचालक थे, जिससे दिल्ली सल्तनत का पर्यात विस्तार हुआ, परन्तु अन्तिम शासक मुबारकशाह और नासिरुद्दीन अत्यन्त अयोग्य निकले। मुबारकशाह तो हीजड़ों के साथ ढोलक मंजीरे बजाता हुआ अमीरों के महलों तक पहुँच जाता और वहाँ नाचने लग जाता था तथा अमीरों के महलों में शोर मच जाता कि सुल्तान तशरीफ लाये हैं। वह कभी-कभी दरबार में ही अमीरों के समक्ष नंगा होकर नाचने लगता था। इसके विपरीत नासिरुद्दीन सादा जीवन व्यतीत करता था, परन्तु शासन करने की क्षमता उसमें भी नहीं थी। वह नीच जाति का हिन्दू था जो बाद में मुसलमान बना लिया गया था। इसके मुबारकशाह के साथ अनैतिक सम्बन्ध थे। अतः जब इसकी सेना का गाजी मलिक की सेना से दिल्ली के समीप ही युद्ध हुआ तो उसमें नासिरुद्दीन खुसरोशाह मारा गया और राजधानी पर तुगलक वंश के शासन की स्थापना हुई। तुगलक वंश का संस्थापक गियासुद्दीन अत्यधिक शक्तिशाली था तथा उसके पश्चात् मुहम्मद बिन तुगलक तथा फिरोज तुगलक तक सल्तनत की स्थिति अच्छी रही, परन्तु फिरोज तुगलक की मृत्यु के उपरान्त दिल्ली सल्तनत का ढाँचा चरमराने लगा क्योंकि उसके उत्तराधिकारी दुर्बल और अयोग्य थे। यही बात सैय्यद और लोदी वंशों के साथ घटित हुई और 24 अप्रैल, सन् 1526 ई0 के दिन पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहीम लोदी के वीरगति प्रात करते ही दिल्ली सल्तनत का भवन धराशाही हो गया और भारत मे मुगल राजवंश की स्थापना काबुल के बादशाह बाबर ने की।

2. उत्तराधिकार के नियम का निश्चित न होना - दिल्ली सल्तनत में उत्तराधिकार का नियम निश्चित नहीं था। प्रायः राजसिंहासन पर अधिकार उसी का होता था जिसकी तलवार की धार अन्य दावेदारों की अपेक्षा अधिक तेज होती थी। सुल्तान की मृत्यु होते ही उसके पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध होने लगता था जो सल्तनत की शक्ति के लिये बड़ा घातक होता था। दुर्बल सुल्तान अनेक प्रभावशाली अमीरों पर निर्भर रहते थे और शक्तिशाली अमीर अपनी स्वार्थ सिद्धि में व्यस्त हो जाते थे। खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन ने कैकुबाद का तथा गियासुद्दीन तुगलक ने नासिरुद्दीन खुसरोशाह का वध कराकर अपने राजवंशों के शासन की स्थापना की। नासिरुद्दीन महमूद तुगलक वंश का अन्तिम शासक था। उसकी मृत्यु के समय खिजखाँ मुल्तान का सूबेदार था। उसने नासिरूद्दीन, महमूद की मृत्यु होते ही अपनी शक्ति के आधार पर सैय्यद वंश की स्थापना की। इसी प्रकार सैय्यद वंश का अन्तिम सुल्तान अलाउद्दीन आलमशाह अत्यन्त अयोग्य शासक था। उसमें साहस, वीरता और उत्साह का अभाव था। वह सन् 1447 ई0 में दिल्ली का राजसिंहासन छोड़कर बदायूँ चला गया और बहलोल लोदी ने बिना किसी विरोध के दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठकर अपने नाम का खुतबा पढ़वाया और लोदी वंश के शासन की स्थापना की। मुगल बादशाह बाबर ने लोदी वंश के निर्बल शासक इब्राहीम लोदी को रणक्षेत्र में समाप्त कर दिल्ली सल्तनत को ही समात कर डाला।

3. दास प्रथा के दुष्परिणाम - यद्यपि यह निर्विवाद सत्य है कि दिल्ली सल्तनत की स्थापना में दास प्रथा ने सर्वाधिक योगदान किया था तथा मुहम्मद गोरी के दास कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की थी। आरम्भ में इस प्रथा ने कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश और बलबन जैसे सुयोग्य प्रतिभाशाली और सल्तनत के साम्राज्य में वृद्धि करने वाले व्यक्तियों को उत्पन्न किया था, परन्तु कालान्तर में दासों का पतन होने लगा। उनकी संख्या में भारी वृद्धि होती चली गई। यहाँ तक कि फिरोज तुगलक के दासों की संख्या एक लाख चालीस हजार तक पहुँच गई थी जिसके कारण वे विलासी बन गये। अतः प्रतिभाशाली दासों की उत्पत्ति बन्द हो गई। मलिक काफूर और मलिक खुसरो ने मुबारकशाह की हत्या करके स्वयं सल्तनत की बागडोर अपने हाथों में ले ली तथा खिलजी वंश की बेगमों ओर बालकों पर बड़े निर्मम अत्याचार किये। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि राजवंशों के शीघ्र पतन में दास प्रथा का भी हाथ था।

4. नैतिक पतन - अनेक सुल्तानों का चरित्र भ्रष्ट हो चुका था। वे राजकाज की ओर ध्यान न देकर सुरा और सुन्दरियों पर राजकोष का धन पानी की तरह बहाते थे। ऐसे सुल्तानों से राजकाज को अच्छी तरह चलाने की आशा करना केवल निराशा हीं था। कैकुबाद और मुबारकशाह इसी प्रकार के सुल्तान थे जिनके कारण दिल्ली सल्तनत का पतन अनिवार्य ही था।

5. जनमत का अभाव - दिल्ली सल्तनत की स्थापना सैनिक शक्ति के आधार पर की गयी थी। जनता का समर्थन उसे प्राप्ति न था। सल्तनत की बहुसंख्यक प्रजा हिन्दू थी जिस पर सुल्तान तरह-तरह के अत्याचार करते तथा उसे काफिर के नाम से संबोधित करते थे। वे उन्हें धर्म परिवर्तन के लिये भाँति-भाँति की यन्त्रणायें देते रहते थे जिससे दिल्ली सल्तनत हिन्दुओं के सक्रिय सहयोग से वंचित रही। शक्तिशाली हिन्दू राजे-महाराजे बराबर विद्रोह करते और सल्तनत की सेनाओं से लोहा लेते रहते थे। फलतः दिल्ली सल्तनत को स्थायित्व की प्राति न हो सकी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
  7. प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  8. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
  14. प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  15. प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
  16. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
  17. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
  21. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
  24. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  27. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
  30. प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
  31. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
  32. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  33. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
  34. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  35. प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
  37. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
  38. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
  39. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
  40. प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
  41. प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
  43. प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
  44. प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
  46. प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
  47. प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
  48. प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  51. प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
  54. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
  55. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
  56. प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
  57. प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
  58. प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
  59. प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
  61. प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
  62. प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
  63. प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
  64. प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
  66. प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
  67. प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
  68. प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
  69. प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
  70. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
  71. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
  73. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  76. प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
  77. प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
  78. प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
  79. प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
  84. प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
  85. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  88. प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  89. प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  90. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  91. प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  93. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
  95. प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
  97. प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
  103. प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
  104. प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प

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